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Saturday, March 19, 2011

केनू संग खेलू होली
पिया त्यज गये है अकेली..!

माणिक मोती सब हम छोडे
गले में पहनी सेली
...भोजन भवन भलो नही लागे
पिया कारन भयी रे अकेली
मुझे दुरी क्युँ मेली ?

अब तुम प्रीत अवर सु जोडी
हम से करी क्युं पहेली ?
बहु दिन बीते, अजहुन आये,
लग रही ताला वेली
केनु दिल मा ये हेली ?

श्याम बिना जीयडो मुरझावे,
जैसे जल बिन बेली,
मीरा को प्रभू दरसन दिजो
मै तो जनम जनम की चेली
दरस बिना खडी दुहेली…
मीरांबाई

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