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Monday, May 16, 2011

ख़ुमार बाराबंकवी

सुना है वो हमें भुलाने लगे है
तो क्या हम उन्हे याद आने लगे है

हटाए थे जो राह से दोस्तो की
तो पत्थर मेरे घर में आने लगे है
...
ये कहना थ उनसे मुहब्ब्त हौ मुझको
ये कहने मे मुझको ज़माने लगे है

कयामत यकीनन करीब आ गई है
"ख़ुमार" अब तो मस्ज़िद में जाने लगे है

ख़ुमार बाराबंकवी

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