तू मेरे साथ न चल, ऐ मेरी रूह-ए-ग़ज़ल
लोग बदनाम न कर दें तू इरादों को बदल।
मैंने माना कि बहुत प्यार किया है तूने
साथ ही जीने का इकरार है तूने
मान ले बात मेरी देख तू इस राह न चल।
साथ देखेंगे तो फिर लोग कहेंगे क्या-क्या
सोच ले, सोच ले इलज़ाम धरेंगे क्या-क्या
ऐ मेरी परदा-नशीं देख न परदे से निकल।
अपनी उलफ़त पे कभी आँच न आ जाए कहीं
तेरी रुसवाई हो ये बात गँवारा ही नहीं।
देख नादान न बन, होश में आ, यूँ न मचल।
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