कौन रंग फागुन रंगे , रंगता कौन वसंत ?
प्रेम रंग फागुन रंगे! प्रीत कुसुम वसंत,
दिल में भरी उमंग है, मनमीत के संग''
फागुन लिखे कपोल पर रस से भींगे छंद,
फीके सारे पड़ गए पिचकारी के रंग,
अंग अंग फागुन रचा , सांसे हुयी मृदंग!
धुप हंसी, बदली हंसी, हंसी पलाशी शाम,
पहन मूँगिया कंठिया, टेसू हंसा ललाम,
नखरीली सरसों हंसी सुन अलसी की बात,
पीपल झूमे मस्ती में सारी सारी रात!
बरसाने की ग्वालिने, नन्द गांव के ग्वाल,
दोनों के मन बो गया फागुन कई सवाल?
इधर कशमकश प्रेम की, उधर प्रीत मगरूर,
जो भींगे वह जानता ! फागुन के दस्तूर,
पृथ्वी मौसम वनस्पति, भौंरे तितली धूप'
सब पर जादू कर गयी, ये फागुनी रूप!
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